सुराजी सिपाहीमन के गांव 'खिसोराÓ - Kharwar News

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Sunday, August 19, 2018

सुराजी सिपाहीमन के गांव 'खिसोराÓ

देस के अजादी म हमर छत्तीसगढ़ के सपूतमन के योगदान ल कभु नइ भुलाय जाय सकय। काबर के, अंजरेजमन के जुल्मोसितम, अतियाचार के पुरजोर बिरोध छत्तीसगढ़ के अवाम ह घलो करे रहिन। कतकोन अजादी के दीवानामन अपन तन-मन-धन सब्बो ल तियाग दीन। लउड़ी-डंडा खाइन, गोली खाइन, जेल गीन, हांसत-हांसत फांसी म घलो झूलिन। छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संगराम सेनानीमन के योगदान अउ बलिदान ल पूरा देस नमन करथें। अजाद भारत के हरेक मनखे आज अजादी के सबो दीवाना, वीर, बलिदानी अउ महापुरुसमन के करजदार हें।

ध रम के नगरी परयागराज राजिम ले सटे पैरी नदी के तीर म बसे हे गांव खिसोरा। जेन ल 'सेनानी गांवÓ कहिथें। ऐहा अंचल के एकेठिन अइसे गांव हे जेन ल आधा दरजन सुराजी सिपाहीमन के जनमभूमि होय के गौरव मिले हे। देस ह जब गुलामी के पीरा सहत रहिस , गोरामन के जुलुम ह बाढ़ गे रहिस तब इहां के बीर सुराजी बेटामन देस ल अजाद कराए खातिर अजादी के लड़ई म कूद पडिऩ। इहां के देवनाथजी पटेल, ताराचंद साहू, अलखरामजी पटेल, माधोरामजी पटेल, भुखेलाल पटेल अउ थानूरामजी बंसोर ह अपन घर-परिवार ल छोड़ के बिदेसी सासन ले भिडग़े। जेकर सेती ऐमन ल कतकोन पइत जेल अउ भारी जुरमाना सहे बर परिस।
गांव के बाजार चउंक ल सब 'गांधी चउंकÓ कहिथें। गांधीजी के बड़े जान मूरति स्थापित हे। जेकर स्तंभ म जड़े सिलालेख गांव के बीर सुराजी सिपाहीमन के किस्सा कहत हे । ऐ सिलालेख बहुतेच कम म हें। जेकर हिसाब ले -सबले पहली के सुराजी सिपाही के रूप म देवनाथजी पटेल ल बताय गे हे ।
स्व. देवनाथजी पटेल पिता पुरुसोत्तम पटेल जेन ल बछर 1930 म चार महीना के सजा, तीन कोरी रुपिया जुरमाना अउ 1932 म बिदेसी सामान के बहिस्कार करे के खातिर 3 महीना के जेल अउ डेढ़ कोरी रुपिया जुरमाना के बरनन हे।
बिस्तार म जाबो त देवनाथजी पटेल ह बछर 1930 म पांडुका ले लगे गांव फुलझर के जंगल सत्यागरह म भाग ले बर गे रहिन। जिहां ले वोला अंगरेजमन पकड़ के जेल म डार दिन। वोहा समाजसेवी, धारमिक, बढिय़ा कवि अउ साहित्यकार रहिस। इंकर जेल म रहिके लिखे दोहा-चौपाई, सवैया-छंद ह 'अजादी की लड़ई Ó नांव के संगरह म पढ़े बर मिलथे। इंकर कतको अकन किताब ह बिना छपे रहिगे। इंकर लेखनी ह उच्चकोटी के रहिस हे। ऐ बिवरन ह सिलालेख म नइये।
दूसर सेनानी के रूप म स्व. ताराचंद साहू के नांव हे। जेन ल बछर 1942 म भारत छोड़ो आन्दोलन म भाग ले के सेती 9 महीना के जेल के बिवरन हे। बिस्तार म चलन त ताराचंद साहू ह राजनीति के अच्छा जानकार अउ समाजसेवी रहिस। बछर 1952 म वोमन ह पांडुका छेत्र ले विधायक बनिन। ऐकर बाद बछर 1967 म कांगरेस ले कुरूद विधानसभा ले दूसर पइत विधायक बनिन।
अंचल के बरिस्ठ साहित्यकार पुनूराम साहू ह इंकर ब्यक्तित्व के बारे म लिखथे कि - 'पक्काा गांधीवादी ताराचंद साहू ह हमेसा गांधी टोपी पहिने रहंय। सादा जीवन-उच्च विचार वाला ताराचंदजी ह छेत्र म 'साहूजीÓ के नांव ले परसिद्ध रिहिन ।Ó इंकर बाद बछर 1985 म इंकर बहू दीपा साहू ह कुरूद ले फेर विधायक बनिस।
तीसर सेनानी रहिस हे - अलखरामजी पटेल जेन ह देवनाथजी पटेल के छोटे भाई रहिस। पेसा ले मास्टर अलखराम ह अपन नौकरी छोड़ के बछर 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन म भाग लिस। जेकर सेती आप ल 6 महीना के जेल भोगे बर परिस।
चौथा सेनानी रहिस हे - माधोरामजी पटेल। जेन ह सबले पहिली के सुराजी सिपाही देवनाथजी पटेल के बेटा रहिन। माधोराम पटेल ह अपन राजनीतिक निस्पछता अउ विनमरता के सेती अब्बड लोकपरिय होइस। मजाकिहा सुभाव के कला अउ संगीत परेमी माधोरामजी ह गंाव म 'देहात दीपक Ó नांव के नाटक मंडली घलो बनाय रहिस। जेन ह आज तक सरलग चलत हे। ऐहा अपन धारमिक, सामाजिक नाटक के सेती अंचल म आजो जाने जाथें। सुधारबादी विचारधारा के समरथक पटेलजी ह दू पइत खिसोरा के सरपंच बन के खिसोरा ल गौरान्वित करे हे। गांधीजी के बड़-जान मूरति के स्थापना करे के स्रेय इहीच ल जाथें।
भुखेलालजी पटेल ह पांचवा सेनानी रहिस अउ अपन कका देवनाथ ले परेेरना ले के आजादी के लड़ई म भाग लिन। सिलालेख के मुताबिक बछर 1942 म भारत छोड़ो आन्दोलन म भाग ले के सेती 6 महीना के यातना भोगे बर परिस। स्वभाव ले हंसमुख, कला- संगीत परेमी अउ बढिय़ा कलाकार रहिन। थानूराम बंसोर ह इंकर जोड़ीदार रहंय। दूनों के जोड़ी खूब जमें। चाहे रंगमंच के बात हो या अजादी के लड़ई के बात हो।
छठवां नंबर के अउ सबले पाछू सरर्ग जवइया सेनानी रहिस हे स्व. थानूराम बंसोर ह। जेन ह संगीत परेमी, बढिय़ा गवइया, संगे-संग बढिय़ा संचालक अउ कलाकार घलो रहिस।ं अपन गोठ-बात के दौरान बतावय के अजादी के समे निडर होके सुराजी गीत ल बाजा - पेटी के साथ बुलंद आवाज म गाके गांव -गांव अउ गली-गली म देसपरेम जगाय के काम करत रहिन। सिलालेख के मुताबिक बछर 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन म भाग ले के सेती 6 महीना के जेल भोगे बर परे रहिस।
खिसोरा के इतिहास ह तियाग, तपस्या अउ बलिदान ले भरे परे हे। ऐकर बाद घलो आजो खिसोरा गांव ह उपेक्छित अउ पिछड़े हे। हमर सुराजी सिपाहीमन के संघर्स ह बिरथा जावत हे।



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